1 जुलाई 2021 टीडीएस / टीसीएस की बढ़ी हुई दरें रिटर्न फाइल नहीं करने वालों के लिए टीडीएस/ टीसीएस की दर | 206AB एवं 206CCA
CA Sudhir Halakhandi | Jun 25, 2021 |
1 जुलाई 2021 टीडीएस / टीसीएस की बढ़ी हुई दरें रिटर्न फाइल नहीं करने वालों के लिए टीडीएस/ टीसीएस की दर | 206AB एवं 206CCA
1 जुलाई 2021 से जिन व्यक्तियों का टीडीएस काटा जाना है अथवा टीसीएस एकत्र किया जाना है उनकी एक नई श्रेणी बताई गई है जिनके लिए टीडीएस/ टीसीएस सामान्य दर से नहीं काटा जाकर नियमित दर का दुगना या 5 प्रतिशत ,जो भी अधिक हो , से काटा जाएगा.
यहाँ यह ध्यान रखे कि टीसीएस काटा नहीं बल्कि एकत्र किया जाता है लेकिन आगे इस लेख में आप जहां भी अपनी सुविधा के लिए हमने “टीसीएस काटा जाना लिखा है” उसे टीसीएस एकत्र किया जाना पढ़ लें.
यह लेख सिर्फ उन लोगों के लिए नहीं है जिन्हें टीडीएस / टीसीएस काटना है बल्कि उन लोगों के लिए भी है जिनका टीडीएस / टीसीएस काटना है क्यों कि अधिक टीडीएस / टीसीएस से बचने के लिए रिटर्न तो उन्हें ही भरने थे.
ये प्रावधान आयकर कानून की धारा 206AB टीडीएस के लिए और धारा 206CCA टीसीएस के लिए बनाए गए है तो हम इस पूरे लेख में धारा 206AB का जिक्र ही करेंगे और चूँकि धारा 206CCA में भी बिलकुल वही प्रावधान दिए गए है तो इसे आप स्वयं समझ लें . लेख के अंत में हम यह बात आपको फिर से याद दिला देंगे वैसे फर्क सिर्फ इतना है कि धारा 206AB टीडीएस की बढीं हुई दर के लिये है और धारा 206CCA टीसीएस की बढ़ी हुई दर के लिए है. इन दोनों धाराओं के 1 जुलाई 2021 से लागू हो जाने से अब टीडीएस काटने वाले एवं टीसीएस एकत्र करने वाले व्यक्तियों की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है .
आइये पहले तो हम 1 जुलाई 2021 से लागू होने वाले इस प्रावधान का अध्ययन करें और देखें कि यह किस तरह से उन व्यक्तियों को जिन व्यक्तियों का टीडीएस/टीसीएस काटा जाना है और जिन्हें टीडीएस/टीसीएस काटना है को प्रभावित करता है.
Special provision for deduction of tax at source for non-filers of income tax return.
206AB. (1) Notwithstanding anything contained in any other provisions of this Act, where tax is required to be deducted at source under the provisions of chapter XVIIB other than section 192A, 194B, 194BB, 194LBC or 194N on any sum or income or amount paid, or payable or credited, by a person (hereafter referred to as deductee) to a specified person, the tax shall be deducted at the higher of the following rates, namely:—
(i) at twice the rate specified in the relevant provision of the Act; or
(ii) at twice the rate or rates in force; or
(iii) at the rate of five percent.
(2) If the provisions of section 206AA is applicable to a specified person, in addition to the provision of this section, the tax shall be deducted at higher of the two rates provided in this section and in section 206AA.
(3) For the purposes of this section “specified person” means a person who has not filed the returns of income for both of the two assessment years relevant to the two previous years immediately prior to the previous year in which tax is required to be deducted, for which the time limit of filing return of income under sub-section (1) of section 139 has expired; and the aggregate of tax deducted at source and tax collected at source in his case is rupees fifty thousand or more in each of these two previous years:
Provided that the specified person shall not include a non-resident, who does not have a permanent establishment in India.
Explanation. —For the purposes of this sub-section, the expression “permanent establishment” includes a fixed place of business through which the business of the enterprise is wholly or partly carried on.
लगभग इसी तरह का प्रावधान धारा 206CCA में दिया गया है जिसे आप आयकर कानून में देख लें क्यों कि व्यवहारिक रूप से इस धारा को यहाँ देने की आवयकता नहीं है .
आइयें देखें कि सरकार की निगाह में जिन व्यक्तियों का लगातार दो पूर्व वर्षों से टीडीएस / टीसीएस कट रहा है या एकत्र किया जा रहा है, चाहे वह किसी भी स्त्रोत से सम्बंधित हो अथवा किन्ही भी व्यक्ति या व्यक्तियों ने काटा या एकत्र किया गया हो , वह टीडीएस / टीसीएस की रकम 50 हजार से अधिक हैं लेकिन इसके बाद भी वे व्यक्ति इन दोनों वर्षों के रिटर्न नहीं भर रहें है तो उन्हें “specified Person” कहा गया है और इन्ही Specified Persons का टीडीएस / टीसीएस सामान्य दर से अधिक दर से काटना है .
यहाँ यह याद रखें कि धारा 206 AB में जिन दो वर्षों का जिक्र है उन दोनों ही वर्षों में अर्थात प्रत्येक वर्ष में टीडीएस और टीसीएस की राशी चाहे टीसीएस / टीसीएस कहीं से भी कटा हो या एकत्र किया गया हो उसका योग हर वर्ष में 50 हजार रूपये से अधिक होना चाहिए.
मान लीजिये आपके केस में निर्धारण वर्ष 2019-20 में A , B एवं C ने टीडीएस/टीसीएस काटा हो तो वह सारा जोड़कर 50 हजार से अधिक है. इसके बाद निर्धारण वर्ष 2020-21 में भी आपके केस में A, D और F ने सब मिलाकर् 75000.00 रूपये टीडीएस /टीसीएस काटा है तो आप धारा 206AB के तहत विशिष्ट व्यक्ति होने की पहली शर्त पूरी करते हैं और यदि आपने इन दोंनों ही निर्धारण वर्षों के आयकर रिटर्न नहीं भरे हैं तो फिर आप इस धारा के तहत आने दूसरी शर्त भी पूरी करते हैं और इस तरह आप धारा 206AB के तहत विशिष्ट व्यक्ति हो जाते हैं और ऐसे में जो भी आपका टीसीएस / टीडीएस काटेगा वह इस संबंध में निर्धारित दर के दुगुने या 5 प्रतिशत जो अधिक है की दर से आपका टीडीएस / टीसीएस काटेगा.
यहाँ यह ध्यान रखिये कि यदि इन दोंनों वर्षों में से किसी भी वर्ष में टीडीएस/ टीसीएस 50 हजार से कम है तो धारा 206AB लागू ही नहीं होती है इसलिए आपको आगे इन वर्षों के रिटर्न भरे ही हैं या नहीं देखने की जरुरत ही नहीं है.
यदि दोनों ही वर्षों में टीडीएस / टीसीएस 50 हजार रूपये से अधिक है लेकिन आपने इन दोनों वर्षो में से किसी भी एक वर्ष का रिटर्न भर दिया है तब भी आप पर इस धारा 206 AB या 206 CCA के प्रावधान लागू नहीं होंगे.
अब यह तो विभाग का काम था कि उन पर कार्यवाही करे जो रिटर्न नहीं भरने पर होती भी है लेकिन अब 1 जुलाई 2021 से सरकार ने उन्हें एक तरह से उन्हें प्रेरित करने या दण्डित करने के लिए उन पर कटने वाले टीडीएस/टीसीएस की दर को सामान्य दर की जगह सामान्य दर का दुगना अथवा 5% , जो अधिक हो कर दिया है . इसका अर्थ यह है कि यदि जैसे धारा 194C के तहत टीडीएस की दर 1% है तो इन विशिष्ट व्यक्तियों के लिए टीडीएस की दर 5% होगी इसी तरह से यदि माल की खरीद पर टीडीएस की सामान्य दर केवल 0.1% लेकिन यदि जिसका टीडीएस काटा जाना है वह यदि धारा 206AB के तहत “विशिष्ट व्यक्ति” है तो टीडीएस की दर 5% हो जायेगी तो कल्पना कीजिये की इसका क्या परिणाम होगा.
इस धारा में सबसे महत्वपूर्ण वे दो वर्ष हैं जिनके लिए हमें टीडीएस / टीसीएस की रकम एवं रिटर्न भरे गए हैं अथवा नहीं यह देखना है . आइये देखें कि इस धारा में हमें देखना क्या है ? सबसे पहले तो हमें यह देखना है कि रिटर्न और टीडीएस / टीसीएस किन वर्षों के देखने हैं अर्थात वे वित्तीय वर्ष कौनसे होंगे जिनके बारे में मालुम कर हमें यह देखना है कि इन सम्बंधित व्यक्ति इस धारा 206AB/206CCA के तहत आता है.
वे दो वित्तीय वर्ष जिनके लिए आयकर अधिनियम की धारा 139 (1) के तहत दिया गया समय निकल चुका है तो इस समय आप देखें तो इस समय तक वितीय वर्ष 2018 -19 एवं 2019-20 अर्थात निर्धारण वर्ष 2019-20 एवं निर्धारण वर्ष 2020-21 के रिटर्न भरने का समय जो कि आयकर कानून की धारा 139(1) निकल चुका है और अभी 1 जुलाई 2021 जिस दिन से धारा 206 AB लागू होगी उस दिन तक वित्तीय वर्ष जो 31मार्च 2021 को समाप्त हुआ है जिसका निर्धारण वर्ष 2021-22 है उसके आयकर रिटर्न भरने का धारा 139 (1) में दिया हुआ समय समाप्त नहीं हुआ है इसलिए इस समय इस वर्ष के टीडीएस / टीसीएस एवं भरे हुए रिटर्न के बारे में अभी नहीं सोचना है . इसलिए ध्यान रखें कि इस समय आपको कर निर्धारण वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के बारे में देखना है.
अब जब भी निर्धारण वर्ष 2021-22 के रिटर्न भरने की तिथी समाप्त हो जायेगी तब निर्धारण वर्ष 2020-21 एवं निर्धारण वर्ष 2021-22 के टीडीएस / टीसीएस एवं इन वर्षों के रिटर्न के बारे में पर विचार किया जा सकेगा और तब निर्धारण वर्ष 2019-20 के रिटर्न का इस धारा के तहत महत्त्व समाप्त हो जाएगा.
यह धारा उन करदाताओं को रिटर्न भरने के लिए प्रेरित करने के लिए लाई है जो कि लगातार दो वर्षों में विभिन्न स्त्रोतों से एक निश्चित सीमा से अधिक टीडीएस / टीसीएस कट जाने या एकत्र कर लिए जाने के बाद भी दोनों ही वर्षों का रिटर्न अपना रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं और इन्हें यहाँ “विशिष्ट करदाता” कहा गया है और अब जब कोई व्यक्ति इनका टीडीएस/टीसीएस काटता है तो उसे यह टीडीएस/टीसीएस प्रचलित दर का दुगना या 5 प्रतिशत जो भी अधिक हो की दर से टीडीएस काटना होगा.
आइये पहले इस प्रावधान को कुछ उदाहरणों के जरिये समझने का प्रयास करें :-
क्र.स. | उदहारण | धारा 206AB लागू होता है ? |
1. | X एक ऐसा व्यक्ति है जो कई जगह ठेकेदारी का काम करता है और 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष के लिए उससे विभिन्न स्त्रोतों द्वारा काटा गया टीडीएस एवं टीसीएस 50 हजार से अधिक था इसके अतिरिक्त 31 मार्च 2020 को भी उससे विभिन्न स्त्रोतों द्वारा काटा गया टीडीएस एवं टीसीएस भी 50 हजार से अधिक था. X ने 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष अर्थात निर्धारण वर्ष 2019-20 का रिटर्न दाखिल नहीं किया है और इसके अलावा 31 मार्च 2020 समाप्त वर्ष अर्थात निर्धारण वर्ष 2020-21 का भी रिटर्न नहीं भरा है . | इस व्यक्ति पर धारा 206AB लागू होता है और इस मामले में सामान्य दर से अधिक दर से टीडीएस काटा जाएगा. जैसे X एक व्यक्तिगत ठेकेदार है तो 194 C में कर की दर एक प्रतिशत है और इसका दुगुना 2 प्रतिशत होता है लेकिन यह 5 प्रतिशत से कम है इसलिए यहाँ टीडीएस की दर 5 प्रतिशत होगी. |
2. | X एक ऐसा व्यक्ति है जो कई जगह ठेकेदारी का काम करता है और 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष के लिए उससे विभिन्न स्त्रोतों द्वारा काटा गया टीडीएस एवं टीसीएस 50 हजार से अधिक था इसके अतिरिक्त 31 मार्च 2020 को भी उससे विभिन्न स्त्रोतों द्वारा काटा गया टीडीएस एवं टीसीएस 25 हजार ही था. X ने 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष अर्थात निर्धारण वर्ष 2019-20 का रिटर्न दाखिल नहीं किया है और इसके अलावा 31 मार्च 2020 का भी रिटर्न नहीं भरा है. | यहाँ 31/03/2019 को समाप्त वर्ष अर्थात निर्धारण वर्ष 2019-20 में X से विभिन्न स्त्रोतों और विभिन्न व्यक्तियों से कटा हुआ टीडीएस / टीसीएस 50 हजार रूपये हैं लेकिन 31 मार्च 2020 अर्थात निर्धारण वर्ष 2020-21 को समाप्त वर्ष के लिए टीडीएस / टीसीएस की राशि 50 हजार रूपये से कम है इसलिए धारा 206AB की पहली शर्त ही लागू नहीं होती है क्यों कि दोनों वर्षों में 50 हजार से अधिक टीडीएस /टीसीएस नहीं है . अब जब पहली ही शर्त लागू नहीं होती है तो दूसरी शर्त देखने की जरुरत नहीं है और यदि X ने दोनों ही वर्षों के रिटर्न नहीं भी भरे हैं तो भी X धारा 206AB के तहत विशिष्ट व्यक्ति नहीं बनता है और टीडीएस की सामान्य दर ही लागू होगी और TDS धारा 194C में 1% प्रतिशत की दर से ही काटा जाएगा. |
3. | X एक ऐसा व्यक्ति है जो कई जगह ठेकेदारी का काम करता है और 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष के लिए उससे विभिन्न स्त्रोतों द्वारा काटा गया टीडीएस एवं टीसीएस 50 हजार से अधिक था इसके अतिरिक्त 31 मार्च 2020 को भी उससे विभिन्न स्त्रोतों द्वारा काटा गया टीडीएस एवं टीसीएस 50 हजार था. X ने 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष अर्थात निर्धारण वर्ष 2019-20 का रिटर्न दाखिल नहीं किया लेकिन 31 मार्च 2020 अर्थात निर्धारण वर्ष 2020-21का रिटर्न भर दिया है . | इस दशा में धारा 206AB की पहली शर्त तो पूरी होती है क्यों कि दोनों ही वर्षों में काटे गए / एकत्र किये गए टीडीएस/ टीसीएस की राशि 50 हजार रूपये से अधिक है इसलिए अब हमें इसी धारा में दी गई दूसरी शर्त देखनी होगी . X ने 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष अर्थात निर्धारण वर्ष 2019-20 का रिटर्न नहीं भरा गया है अत: लेकिन 31 मार्च 2020 का रिटर्न भर दिया गया है इसलिए धारा 206 AB लागू नहीं होता है क्यों कि इस दशा में ऐसा नहीं है कि दोनों ही वर्षों के रिटर्न नहीं भरे गए हैं. चूँकि दो में से एक वर्ष का रिटर्न भर दिया गया है इसलिए यह मामला 206 AB के तहत नहीं आता है . धारा 206AB तभी लागू होता है जब कि पहली शर्त पूरी होने के बाद दोनों ही वर्षों के रिटर्न नहीं भरे गए हों तभी धारा 206AB लागू होता है और इस मामले में केवल एक ही साल का रिटर्न बकाया रह गया है इसलिए इस दशा में 206AB लागू नहीं होता है और TDS सामान्य दर से ही लागू होगा और टीडीएस 194C के तहत 1% की दर से ही काटा जाएगा. |
4. | X एक ऐसा व्यक्ति है जो कई जगह ठेकेदारी का काम करता है और 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष के लिए उससे विभिन्न स्त्रोतों द्वारा काटा गया टीडीएस एवं टीसीएस 50 हजार से अधिक था इसके अतिरिक्त 31 मार्च 2020 को भी उससे विभिन्न स्त्रोतों द्वारा काटा गया टीडीएस एवं टीसीएस 50 हजार से अधिक था. अब यह भी मान लीजिये कि इसके अतिरिक्त वित्तीय वर्ष 2020 -21 के तहत भी उसका टीडीएस/टीसीएस 50 हजार से अधिक था. X ने 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष अर्थात निर्धारण वर्ष 2019-20 का रिटर्न दाखिल नहीं किया है और इसके अलावा 31 मार्च 2020 का भी रिटर्न नहीं भरा है . चलिए अब यह मान लीजिये कि X एक ऐसा व्यक्ति है जिसका ऑडिट नहीं होता है और वह उसने अपना 31/03/2021 को समाप्त वर्ष का रिटर्न 25 जून 2021 को भर देता है . | धारा 206AB लागू होता है और इस मामले में सामान्य दर से अधिक दर से टीडीएस काटा जाएगा. जैसे X एक ठेकेदार है तो 194 C में कर की दर एक प्रतिशत है और इसका दुगुना 2 प्रतिशत होता है लेकिन यह 5 प्रतिशत से कम है इसलिए यहाँ टीडीएस की दर 5 प्रतिशत होगी. यहाँ वित्तीय वर्ष जो 31 मार्च 2021 को समाप्त हुआ है और 1 जुलाई 2021 , जब से यह प्रावधान लागू हुआ है को पता चलता है कि X अपना यह रिटर्न भर चुका है और उसका सबूत भी पेश कर देता है तब भी टीडीएस की सामान्य दर लागू नहीं हो सकती है क्यों कि अभी इस वर्ष रिटर्न दाखिल करने की धारा 139 (1) की अंतिम तिथी नहीं आई है और जब तक यह तारीख नहीं आता है तब तक आप इस वर्ष को छोड़ते हुए पिछले दो वर्षों पर निर्भर है. इस वर्ष इस तरह के करदाता का रिटर्न भरने की आयकर कानून की धारा 139(1) के तहत अंतिम तिथी 30 सितम्बर है तो भले ही इस व्यक्ति ने निर्धारण वर्ष 2021-22 का रिटर्न दाखिल कर दिये है लेकिन 30 सितम्बर तक इस व्यक्ति का टीडीएस /टीसीएस धारा 206AB के तहत अधिक दर अर्थात 5 प्रतिशत से ही काटा जाएगा . निर्धारण वर्ष 2021-22 के रिटर्न को भर देने का लाभ इस व्यक्ति को 1 अक्तूबर 2021 से ही मिल पायेगा और उस दिन से उस व्यक्ति का टीडीएस / टीसीएस सामन्य दर से काटा जाएगा . |
अभी हाल ही में दिनांक 21 जून 2021 को केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड – CBDT ने एक सर्कुलर नंबर 11 जारी कर इस धारा के सम्बन्ध में एक यूटिलिटी जारी करने के बारे में लिखा है इसमें धारा 206 AB / धारा 206CCA में आने वाले विशिष्ट व्यक्तियों की एक लिस्ट आप इनकम टैक्स पोर्टल से उनके पेन नंबर के द्वारा प्राप्त कर सकेंगे और यदि किसी व्यक्ति के पेन नंबर इस लिस्ट में आते हैं तभी आपको उस व्यक्ति का टीडीएस / टीसीएस सामन्य दर से अधिक दर पर काटना है . आप इस यूटिलिटी में एक पेन नंबर डाल कर भी देख सकते हैं और एक से अधिक पेन डाल कर इन Non-Filers की लिस्ट प्राप्त कर सकते हैं जो कि “Specified Persons” की श्रेणी में आते हैं.
आपने देखा होगा कि पूरे देश में इस समय उन व्यक्तियों से जिनका टीडीएस/टीसीएस काटा जाना है से रिटर्न फाइलिंग के सबूत के साथ अन्य जानकारी एवं डिक्लेरेशन लेने का एक अभियान बहुत बड़े स्तर पर चल रहा है जो इस डिजिटल युग में बहुत ही अनोखा अनुभव आप सबके लिए भी रहा होगा . इसका कारण यह है कि सरकार ने यह सर्कुलर निकालने में थोड़ी दे कर दी और इस बीच यह अभियान पूरे देश में शुरू हो चुका था . अब जब सरकार ने यह जानकारी दे दी है तब इन प्रकार से रिटर्न फाइलिंग का सबूत और डिक्लेरेशन मांगने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी.
अब जब सरकार ने यह जिम्मेदारी ली ही है तो यह सुविधा इनकम टैक्स पोर्टल पर उन्हें 1 जुलाई से पूर्व ही शुरू करनी होगी. यह सुविधा इनकम टैक्स पोर्टल पर “Compliance Check for Section 206AB/ 206AC के नाम से प्रारम्भ के जा रही है . चूँकि सरकार पर भी कुछ तो नियम लागू होते ही हैं इसलिए यदि सरकार यह सुविधा समय प्रारम्भ नहीं कर पाए तो फिर इस प्रावधान को भी आगे स्थगित कर देनी चाहिए.
आइये एक बार आयकर की इस धारा 206 AB का सार देख लें कि ऊपर के अध्ययन में कुछ छूटा तो नहीं है . इन विशिष्ट व्यक्तियों की नई श्रेणी को, जिनका टीडीएस/टीसीएस अधिक दर से काटा जाना है वह कैसे निर्धारित होगी. इस श्रेणी में जाने के लिए जो शर्तें धारा 206AB/206CCA दी गई है वे निम्नप्रकार है :-
1. 31 मार्च 2019 एवं 31 मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के दौरान प्रत्येक वर्ष में जिनसे काटा गया / एकत्र किया गया टीडीएस एवं टीसीएस मिला कर 50 हजार रूपये से अधिक था .
इसे इस तरह से समझिये कि X एक ऐसा व्यक्ति है जिसका टीडीएस आपको काटना है और उनके स्वयं के विभिन्न स्त्रोतों से काटे गए या एकत्र किये गए टीसीएस की राशि 50000.00 रूपये से अधिक है अर्थात वित्तीय वर्ष 31/03/2019 में भी यह राशि 50000.00 से अधिक हो एवं 31/03/2020 में भी यह राशि 50000.00 से अधिक हो . इसका अर्थ है कि दोनों ही वर्षों में यह राशि 50 हजार रूपये से अधिक हो तभी धारा 206 (C) (1H) की यह पहली शर्त पूरी होगी उसके बाद ही इस धारा की दूसरी शर्त देखनी होगी
यह तो पहली शर्त है अर्थात यदि यह शर्त पूरी हो जाती है तो हमें दूसरी शर्त देखनी है .
2. इन करदाताओं ने इन दो वर्षो अर्थात 31 मार्च 2019 एवं 31 मार्च 2020 दोनों ही वर्षों के आयकर रिटर्न नहीं भरा है अर्थात वह व्यक्ति लगातार दो वर्षों के रिटर्न नहीं भरे है . ध्यान रखें यदि इन दो वर्षों में से किसी एक वर्ष का रिटर्न भी भर दिया है तो आपको उस विक्रेता का टीडीएस सामान्य दर से ही काटना है .
आइये इस प्रावधान में निर्धारण वर्ष 2021-22 अर्थात 31 मार्च 2021 को समाप्त होने वाला वर्ष के रिटर्न से कब सम्बन्ध होगा तो याद रखें कि जिस दिन इस रिटर्न की धारा 139 (1) के तहत निर्धारित तिथी समाप्त हो जायेगी तब 31 मार्च 2020 और 31 मार्च 2021 वर्ष के रिटर्न और उसमें इन व्यक्तियों पर कटे टीडीएस/टीसीएस से विशिष्ट व्यक्ति का निर्धारण किया जाएगा और 31 मार्च 2019 के वर्ष को उस समय इस गणना से छोड़ दिया जाएगा.
अब हम 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के रिटर्न के बारे में बात करें तो इस रिटर्न के भरने की 139 (1) में दी हुई तारीख तक तो आपको इस वर्ष के रिटर्न के बारे में नहीं सोचना है लेकिन जब मान लीजिये 30 नवम्बर 2021 जो ऑडिट रिटर्न्स की निर्धारित तिथी है तक रिटर्न नहीं भरा है तो 1 दिसम्बर 2021 से टीडीएस/टीसीएस की बढ़ी हुई दर लागू हो जायेगी यदि इस व्यक्ति ने वितीय वर्ष 19-20 का रिटर्न भी नहीं भरा है लेकिन जैसे ही वह निर्धारिती वितीय वर्ष 2020-21 का अपना रिटर्न भर देगा जो कि वह निर्धारित तिथी के बाद भरेगा तब फिर से टीडीएस की सामान्य दर लागू हो जायेगी . ऑडिट के अलावा अन्य रिटर्न्स की निर्धारित तिथी जो भी धारा 139 (1) में दी गई है उनके मामलों में वह तिथी काम आएगी.
देखिये , ये एक छोटा से प्रावधान है लेकिन इसमें दो पूर्व वर्ष , रिटर्न भरने की धारा 139(1) के तहत निर्धारित तिथी और किस समय नॉन फाइलर का प्रवेश इस धारा के तहत होगा इस पर अभी भी भ्रम है और यह भ्रम केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर द्वारा जारी सर्कुलर में भी साफ़ दिखता है . इस सर्कुलर में लिखा है कि वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ में जो लिस्ट जारी होगी उसमें वित्तीय वर्ष के दौरान को बढ़ोतरी नहीं हो सकती है लेकिन कानून ऐसा नही कहता है क्यों कि धारा 139(1) की निर्धारित तिथी को धारा 206AB / 206 CCA के तहत यह लिस्ट REVISE होनी चाहिए लेकिन सर्कुलर इससे मना करता है . इसके अतिरिक्त कानून में धारा 139(1) तारीख का जिक्र है जो हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है लेकिन सर्कुलर नम्बर 11 139(1) की पहली निर्धारित तारीख का जिक्र करता है जिसका कानून से कोई समर्थन नहीं है. यह सब भ्रामक स्तिथियाँ है या हो सकता है इनके पीछे भी कोई तर्क हो जो अभी सामने नहीं आया है.
हमने यह लेख लिखते हुए जो सावधानी हो सकती थी उसका ध्यान रखा गया है लेकिन इस प्रावधान के बारे में विशेषज्ञों की ही नहीं बल्कि स्वयं सरकार की राय भी एक नहीं है . इसलिए आप इस लेख को पढ़े और इसमें सुधार के कोई सुझाव हो तो भेजें या लेखक द्वारा व्यक्त की राय से आप अलग राय रखतें हैं तो सूचित करें.
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